अतिक्रमण देश की सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा ?

 

अशवनी राणा

देश के कई राज्यों में अतिक्रमण हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन की कार्यवाही जारी है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करना किसी तरह से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।

 

अतिक्रमण करके कालोनी बसा देने में जहां एक ओर स्थानीय नेताओं का स्पोर्ट होता है, वहीं पुलिस और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों का भी देखते हुए भी एक्शन न लेने से अतिक्रमण को बल मिलता है।

 

इस प्रकार के अतिक्रमण से उस क्षेत्र में कई तरह की आपत्तिजनक गतिविधियों शुरू हो जाती हैं। इसी तरह के अतिक्रमण से अवैध बांग्लादेशियों, रोहिंग्या जैसी समस्या उत्पन्न होती है।

 

सड़कों, फुटपाथों और मार्किट में अतिक्रमण से पैदल चलने वालों, ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रेलवे स्टेशन के बाहर अतिक्रमण होने से यात्रियों की गाड़ियां तक छूट जाती हैं। हस्पतालों के बाहर अतिक्रमण होने से ट्रैफिक जाम होता है जिससे इमरजेंसी में रोगी वाहन समय पर हस्पताल पहुंच ही नहीं पाते। रेल्वे की पटरियों और एयरपोर्ट के आसपास के अतिक्रमण सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। वैसे ही सैनिक संस्थानों के आसपास का अतिक्रमण देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।

 

देश के सभी राज्यों में अतिक्रमण की समस्या से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर कार्यवाही करने की जरूरत है। अतिक्रमण होने की स्थिति में स्थानीय नेताओं, NGOs, स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अफसरों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। माननीय न्यायाधीशों को भी अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही पर रोक लगाने से बचना चाहिए।

 

अशवनी राणा फाउंडर (वॉयस ऑफ बैंकिंग)

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