कर्नाटक : भारतीय राजनीति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हालिया बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. क्या ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक सुनियोजित दबाव की रणनीति हैं? या फिर यह सिर्फ संयोग है? आइए, इन बयानों के पीछे की कहानी को समझते हैं और जानते हैं कि क्या वाकई में संघ और मोदी के बीच कोई तकरार चल रही है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में 75 साल की उम्र को रिटायरमेंट का साल बताकर सियासी चर्चाओं को हवा दी. हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह बयान ऐसे समय में आया जब मोदी 17 सितंबर 2025 को 75 साल के होने वाले हैं.
भागवत का यह बयान सवाल उठाता है कि क्या संघ मोदी को रिटायरमेंट की ओर इशारा कर रहा है? संघ में रिटायरमेंट की कोई निश्चित उम्र नहीं है, फिर भी भागवत के इस बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक शिक्षक सम्मेलन में सत्ता के अहंकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद लोग अहंकारी हो जाते हैं और सम्मान मांगने या छीनने से नहीं, बल्कि दिल से मिलता है. यह बयान क्या मोदी पर अप्रत्यक्ष हमले के रुप में देखा जा रहा है.